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कहीं पटाखे हैं,कोई फोड़ने वाला नहीं है,कहीं फोड़ने वाला है,लेकिन पटाखे नहीं हैं,

कहीं पटाखे हैं, कोई फोड़ने वाला नहीं है, कहीं फोड़ने वाला है, लेकिन पटाखे नहीं हैं, और कहीं न पटाखे हैं, और न फोड़ने वाला! कहीं सब कुछ, बिखरा पड़ा, कोई जोड़ने वाला नहीं है! सबका दिल,एक सितार जैसा, जिसमें है तो सही कोई न कोई तार ऐसा, जिसे छेड़ दो तो खुशियों के राग निकलेंगे, मगर कोई, इन तारों को छेड़ने वाला नहीं है, यहाँ कोई इन दिलों को जोड़ने वाला नहीं है!!!

बस इसी जिद में,कि हमें कोई उठा न दे,हम बैठे रह जाते हैं!

बस इसी जिद में, कि हमें कोई उठा न दे, हम बैठे रह जाते हैं! बस इसी जिद में, क़ि कोई हमें घुमा न दे, हम ऐठे रह जाते हैं! और सारा मजा, जीवन का हमारा, कहीं खो जाता है, जीवन में खुद को, कहीं से उठाना सीखना है, और खुद को थोड़ा घूमाना भी! हम ये सोच बैठते हैं, क़ि इससे बेहतर मेरे लिये, कुछ और हो नहीं सकता! जब सोंच लिया तो, उससे बेहतर हमारे लिये, कुछ होगा भी नहीं, क्यूंकि हमारी सोंच, उससे आगे क़ि है ही नहीं, इसलिए, हम उससे ज्यादा को, डीज़र्व  भी नहीं करते! दुनिया बहुत बड़ी है, साहब! यहाँ हर मुकाम, के आगे भी मुकाम है, यहाँ हर नाम के आगे भी, कोई  और नाम है, और हर काम के आगे भी, कोई और काम है, यहाँ काम है, नाम है, इंसान है, भगवान् है, हर आयाम के आगे फिर से, कोई और ऊँचा आयाम है! जीवन में  हम जहाँ ठहर जायेंगे, बस वही हमारे लिये हमारा मुकाम है, और वही हमारे लिये, सबसे ऊँचा आयाम है! बेहतर से भी, बेहतर क़ि गुंजाईश, ईश्वर नें हमेशा बना कर रखा है! इसलिए निराशा का, कोई कारण जीवन में नहीं है! हमेशा बेहतर से, और बेहतर क़ि ओर, चलना ही बेहतर तरीका है!!!! रमन.....

जब तक खुद से न चाहो कोई उबार नहीं सकता

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फर्क नहीं पड़ता लोगों कि बातों का,

फर्क नहीं पड़ता, लोगों कि बातों का, जब खुद पर भरोसा, प्रगाढ़ हो जाता है !! मुश्किलें आती हैं, लेकिन हर मुश्किल से, निकलने का, जुगाड़ हो जाता है !! जब हम चलते हैं, कठिन राहों पर हमारे लिए, अलग ही दुनिया, का निर्माण हो जाता है !! हाँ गिर तो सकते हैं, मगर फिर से उठने का, फिर से लड़ने का, और खड़े होने का, जुगाड़ हो जाता है !! बस बने रहने से,  अपनी राहों में, बस बने रहने से,  अपनी सोंच पर, नई राहों का, निर्माण हो जाता है !! हौशला,और साहस, अगर बड़ा हो डर से, तो हर परिस्थिति से, निकलने का जुगाड़ हो जाता है !! रमन.......

पुस्तकालय librery essay

  विषय   शीर्षक  :-  " पुस्तकालय "     परिचय  :       विचारों को सहेजता है पन्ना , पन्नो को सहेजता है किताब , और किताबों को सहेजता है पुस्तकालय , पुस्तकालय में लोग होते हैं , मेज - कुर्सियां होती हैं , और होती है किताबें , किताबें जब पहुँचती है लोगों के टेबल तक और लोगों से बात करती है , लोगों से मुलाक़ात करती है , उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करती है । बस यही प्रक्रिया किसी पुस्तकालय की शुरुआत करती है ।     किताब  : जब किताब पहुँचता है , टेबल पर । इंसान पहुंचता है , एक लेवल पर ।।   ढूंढते मन का सहारा है , किताब , डूबती नाव का किनारा है , किताब , सपनो को , हकीकत में , बदलता है,किताब हर सवाल का जवाब है , किताब , अकेला मन भी ढूंढता , किताब ,   कोई किस्मत बनाता ,  पढ़कर किताब , कोई किस्मत बनाता , लिखकर किताब ,   हर बात पर लिखी है , किताब , समस्याओ...