बस इसी जिद में, कि हमें कोई उठा न दे, हम बैठे रह जाते हैं! बस इसी जिद में, क़ि कोई हमें घुमा न दे, हम ऐठे रह जाते हैं! और सारा मजा, जीवन का हमारा, कहीं खो जाता है, जीवन में खुद को, कहीं से उठाना सीखना है, और खुद को थोड़ा घूमाना भी! हम ये सोच बैठते हैं, क़ि इससे बेहतर मेरे लिये, कुछ और हो नहीं सकता! जब सोंच लिया तो, उससे बेहतर हमारे लिये, कुछ होगा भी नहीं, क्यूंकि हमारी सोंच, उससे आगे क़ि है ही नहीं, इसलिए, हम उससे ज्यादा को, डीज़र्व भी नहीं करते! दुनिया बहुत बड़ी है, साहब! यहाँ हर मुकाम, के आगे भी मुकाम है, यहाँ हर नाम के आगे भी, कोई और नाम है, और हर काम के आगे भी, कोई और काम है, यहाँ काम है, नाम है, इंसान है, भगवान् है, हर आयाम के आगे फिर से, कोई और ऊँचा आयाम है! जीवन में हम जहाँ ठहर जायेंगे, बस वही हमारे लिये हमारा मुकाम है, और वही हमारे लिये, सबसे ऊँचा आयाम है! बेहतर से भी, बेहतर क़ि गुंजाईश, ईश्वर नें हमेशा बना कर रखा है! इसलिए निराशा का, कोई कारण जीवन में नहीं है! हमेशा बेहतर से, और बेहतर क़ि ओर, चलना ही बेहतर तरीका है!!!! रमन.....