prakriti badi kamaal hai प्रकृति बड़ी कमाल है

प्रकृति बड़ी कमाल है,
इसमें मानव ही एक "सवाल" है,
सब कुछ पा लिया इसने,
इसको फिर भी बड़ा "मलाल" है,
मीठा पसंद उनके लिये,
मधु मख्खियों का जाल है,
मधु (शहद) तक पहुंचना,
भी एक इंसानी चाल है,
हमे तरोताजा करती चाय,
उसका भी का रंग लाल है,
जिसे तीखा चाहिये,
उसके लिए मिर्च लाल है,
समंदर लहरों से डराती रही,
और हमने उससे भी,
नमक निकाला कमाल है,
खाने पे नमक नहीं,
ये तो ऐसा जैसे,
सितारों में चमक नहीं,
बात खटाई की हो,
तो सबसे पहले इमली,लाल है,
इसे नमक-मिर्च लगाओ,
या चीनी,ये तो कमाल है,
प्रोटीन की जरूरत,
उसके लिये दाल है,
प्रकृति हम सबकी मां है,
और हम सब उसके लाल हैं,
वो घबराती क्यूँ हैं,
उसके लिये ही,
तो हम उसके लाल है,
पर लाल कैसा है? यही तो सवाल है,
लाल के मन में,
गहरी साजिश,और गहरी चाल है,
उसके नक्शे में जंगल कहाँ,
बड़ी बड़ी माल है,
खनिजों की भूख,
और दोहन की चाल है,
वन्य-जीवों को महफूज रख सके,
ऐसी उसकी सोच तो है,
पर "कैसे" ये बड़ा सवाल है,
'दिनों-दिन' खतरे उन पर बढ़ रहे,
वो संख्या में 'दिनों -दिन' घट रहे,
ये उनकी कैसी 'देखभाल' है,
हर प्रदेश में,पूरे देश में,यही हाल है,
प्रकृति बहुत "कमाल" है,
पर ये बचे 'कैसे' यही सवाल है,
'हरी-हरी' हरियाली पर,
आतंक का का साया 'लाल' है,
माओवादियों के आतंक से,
जनजातियों का बुरा हाल है,
कैसे कोई उबर पाये,
इधर भी बंदूक,
और उधर भी बंदूक,
बीच में तीर कमान वालों का,
सोचो कैसा हाल है,
जो प्रकृति के रक्षक हैं,
आज उनका ही बुरा हाल है,
जवाब ढूंढना है,
और ये सब बड़ा सवाल है,
रमन.....
I just thought about the nature, as a human I feel guilty at the same time,I feel so proud.
it is so simple you have to stand at where..
at the guilty side or the proud side.
we must stand with our version..
I have written something for the nature...

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