कोयला पर कविता

जब तक तू जले नहीं,
कितना घर चले नहीं,

तू है तो कारखाना है,
और कितनो घर में खाना है,

तूझसे ही,तो जमाना है,
तुझसे ही कितनों को,कमाना है,

तुझसे ही रेल है,
मोटर गाड़ी है,
और इनका आना-जाना है,

तुझसे ही बिजली है,पानी है,
और सुख-सुविधाएँ आनी है,

जहां भी तेरा वास है,
मानों ईश्वर का प्रवास है,

कोई तुझे काला कहे,
कोई,किस्मत बदलने वाला कहे,

काला तेरा रंग है,
तेरे पीछे कितना जंग है,

तेरे नाम से ही सिनेमा चल गया,
और तेरे नाम से,सत्ता बदल गया,

तू ही ऐसा हीरो है,
तेरे बिना सब जीरो है,

देखो नेक फरिश्ता है,
तुझसे हमारा रिश्ता है,

चलना है,
और जलना है,

यही जिंदगी तेरी है,
यही जिंदगी मेरी है,
@@रमन@@@

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